आचार्य श्री

जगद्गुरु श्रीमदाद्य रामानन्दाचार्य जी महाराज

रामनन्दः स्वयं रामः प्रादुर्भूतो महीतले
भगवान् राम ही जगद्गुरु रामानन्दाचार्य बनकर पृथ्वी पर प्रकट हुए हैं ।
भक्ति द्राविड़ उपज्यौ लायौ रामानंद
स्पष्ट है कि आर्ष परंपरा की भक्ति-सुरसरि को इस महान भगीरथ ने जन-गण-मन तक पहुँचाकर संपूर्ण युग का कायाकल्प कर दिया।

जगद्गुरु श्रीमदद्यतन रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज

प्रस्थानत्रयीभाष्यकार, धर्मचक्रवर्ती, श्रीचित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज, पद्मविभूषण से सम्मानित हैं तथा जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय (चित्रकूट) के जीवनपर्यन्त कुलाधिपति हैं | इनका व्यक्तित्व, कृतित्व एवं वक्तृत्व लोकोत्तर है |

आचार्य रामचन्द्रदास जी महाराज (जय महाराज)

उत्तराधिकारी -जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज
आचार्य जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन गुरु सेवा में समर्पित कर दिया है तथा उनके उत्तराधिकारी के रूप में सभी कार्यभार संभाल रहे हैंl यही नहीं गुरु जी के मार्गदर्शन में वह समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए रामानंद मिशन के माध्यम से जागरूक करने का कार्य कर रहें I

॥ नमो राघवाय ॥

12 जनवरी 2025 से 13 फरवरी 2025 तक

पूज्यपाद जगद्रुरु जी का उद्घोष है कि भगवान राम ही राष्ट्र के मंगल हैं। भगवान

श्रीराम एवम् राष्ट्र एक दूसरे के पर्याय हैं। आज हमारे भारत के मुकुट अर्थात् कश्मीर

के एक बड़े भू-भाग को हमारे पड़ोसी देश ने अनधिकृत रूप हथिया रखा है। पाक अधिकृत

कश्मीर (POK) के भारत में पुनः विलय एवं राष्ट्र समृद्धि की कामना से सर्व समर्थ अनन्त

बलवन्त श्री हनुमंतलाल जी महाराज की प्रसन्नता हेतु “श्री हनुमन् महायज्ञ” का आयोजन इस दुर्लम अवसर पर करने का निश्चय किया है। वैदिक सनातन धर्म में यज्ञ का एक विशिष्ट

मंहत्व है कहा गया है “यज्ञो वे श्रेषतमं कर्मः” अर्थात् यज्ञ करना हमारा श्रेष्ठतम कर्म है।

इस पावन यज्ञ में श्री हनुमान जी महाराज को एक करोड़ इक्यावन लाख से अधिक आहुतियाँ

वैदिक विद्वानों के सानिध्य में प्रदान की जाएंगी।

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